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Wednesday, August 14, 2024

अकबर और बीरबल की कहानी: सबसे बड़ी ताकत

 

एक बार की बात है, बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे और उन्होंने बीरबल से पूछा, "बीरबल, दुनिया की सबसे बड़ी ताकत क्या है?"


बीरबल ने थोड़ी देर सोचा और कहा, "हुजूर, दुनिया की सबसे बड़ी ताकत 'ज्ञान' है।"


अकबर ने फिर से सवाल किया, "क्या कोई और ताकत इससे बड़ी हो सकती है?"


बीरबल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "जी, हुजूर। इससे बड़ी ताकत 'सच' है।"


अकबर ने और जिज्ञासु होकर पूछा, "और इससे भी बड़ी ताकत क्या है?"


बीरबल ने नम्रता से कहा, "हुजूर, सबसे बड़ी ताकत 'माँ की ममता' है।"


अकबर ने बीरबल से इस बात को साबित करने के लिए कहा। बीरबल ने दरबार में एक दिन का समय मांगा और अगले दिन एक अनोखी योजना बनाई।


अगले दिन, बीरबल ने एक शेरनी और उसके बच्चे को दरबार में लाने की व्यवस्था की। जैसे ही शेरनी और उसका बच्चा दरबार में आए, सभी दरबारी डर गए। बीरबल ने शेरनी के बच्चे को उसके पास से दूर करने की कोशिश की, तो शेरनी ने अपनी पूरी ताकत से बीरबल को रोक दिया।


बीरबल ने अकबर से कहा, "देखिए, हुजूर, इस शेरनी को अपनी संतान से अलग होने का कितना डर है। यही है 'माँ की ममता', जो दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है।"


अकबर बीरबल की इस समझदारी और सूझ-बूझ से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने कहा, "बीरबल, तुमने आज फिर साबित कर दिया कि तुम्हारी बुद्धि और ज्ञान अतुलनीय हैं।"


इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि माँ की ममता से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। चाहे वो इंसान हो या जानवर, माँ अपने बच्चे के लिए सबसे बड़ी शक्ति होती है।








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Sunday, August 11, 2024

अकबर और बीरबल की कहानी: अनोखा इनाम



एक बार की बात है, बादशाह अकबर और उनके नवरत्नों में से बीरबल दरबार में बैठे थे। अकबर हमेशा बीरबल की चतुराई और बुद्धिमानी की तारीफ करते थे, लेकिन वे एक दिन बीरबल की समझदारी की परीक्षा लेना चाहते थे।


अकबर ने बीरबल से कहा, "बीरबल, हम तुम्हारी बुद्धिमानी से बहुत प्रभावित हैं, लेकिन क्या तुम एक ऐसी बात कह सकते हो जो खुश इंसान को दुखी कर दे और दुखी इंसान को खुश कर दे?"

बीरबल मुस्कुराए और बोले, "जी हुजूर, मैं कुछ समय चाहता हूं।"


अकबर ने उन्हें समय दिया, और बीरबल वहां से चले गए। कुछ दिनों बाद, बीरबल ने बादशाह को एक अंगूठी पेश की, जिसमें लिखा था, "यह समय भी बीत जाएगा।"


अकबर ने जब वह अंगूठी देखी, तो वे सोच में पड़ गए। बीरबल ने समझाया, "हुजूर, जब कोई व्यक्ति खुश होता है और इस अंगूठी को देखता है, तो उसे यह एहसास होता है कि खुशी का समय भी बीत जाएगा, जिससे वह थोड़ा दुखी हो जाता है। और जब कोई व्यक्ति दुखी होता है और इस अंगूठी को देखता है, तो उसे यह एहसास होता है कि दुख का समय भी बीत जाएगा, जिससे उसे सांत्वना मिलती है और वह खुश हो जाता है।"


अकबर बीरबल की इस गहरी सोच से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने बीरबल को ढेर सारे इनाम दिए। बीरबल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे न केवल बुद्धिमान हैं, बल्कि जीवन के गहरे सत्य को भी समझते हैं।


इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में चाहे खुशी हो या दुख, समय के साथ सब बदल जाता है।


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Sunday, April 23, 2023

ईमानदार आदमी Kids Hindi Story

ईमानदार आदमी 


विक्की अपने स्कूल में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह को ले कर बहुत उत्साहित था। वह भी परेड़ में हिस्सा ले रहा था।

दूसरे दिन वह एकदम सुबह जग गया लेकिन घर में अजीब सी शांति थी। वह दादी के कमरे में गया, लेकिन वह दिखाई नहीं पड़ी।
"माँ, दादीजी कहाँ हैं?" उसने पूछा।
"रात को वह बहुत बीमार हो गई थीं। तुम्हारे पिताजी उन्हें अस्पताल ले गए थे, वह अभी वहीं हैं उनकी हालत काफी खराब है।

विक्की एकाएक उदास हो गया।

उसकी माँ ने पूछा, "क्या तुम मेरे साथ दादी जी को देखने चलोगे? चार बजे मैं अस्पताल जा रही हूँ।"

विक्की अपनी दादी को बहुत प्यार करता था। उसने तुरंत कहा, "हाँ, मैं आप के साथ चलूँगा।" वह स्कूल और स्वतंत्रता दिवस के समारोह के बारे में सब कुछ भूल गया।

स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह बहुत अच्छी तरह संपन्न हो गया। लेकिन प्राचार्य खुश नहीं थे। उन्होंने ध्यान दिया कि बहुत से छात्र आज अनुपस्थित हैं।

उन्होंने दूसरे दिन सभी अध्यापकों को बुलाया और कहा, "मुझे उन विद्यार्थियों के नामों की सूची चाहिए जो समारोह के दिन अनुपस्थित थे।"

आधे घंटे के अंदर सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों की सूची उन की मेज पर थी। कक्षा छे की सूची बहुत लंबी थी। अत: वह पहले उसी तरफ मुड़े।

जैसे ही उन्होंने कक्षा छे में कदम रखे, वहाँ चुप्पी सी छा गई। उन्होंने कठोरतापूर्वक कहा, "मैंने परसों क्या कहा था?"
"यही कि हम सब को स्वतंत्रता दिवस समारोह में उपस्थित होना चाहिए," गोलमटोल उषा ने जवाब दिया।
"तब बहुत सारे बच्चे अनुपस्थित क्यों थे?" उन्होंने नामों की सूची हवा में हिलाते हुए पूछा।

फिर उन्होंने अनुपस्थित हुए विद्यार्थियों के नाम पुकारे, उन्हें डाँटा और अपने डंडे से उनकी हथेलियों पर मार लगाई।
"अगर तुम लोग राष्ट्रीय समारोह के प्रति इतने लापरवाह हो तो इसका मतलब यही है कि तुम लोगों को अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं है। अगली बार अगर ऐसा हुआ तो मैं तुम सबके नाम स्कूल के रजिस्टर से काट दूँगा।"

इतना कह कर वह जाने के लिए मुड़े तभी विक्की आ कर उन के सामने खड़ा हो गया।

"क्या बात है?"
"महोदय, विक्की भयभीत पर दृढ़ था, मैं भी स्वतंत्रता दिवस समारोह में अनुपस्थित था, पर आप ने मेरा नाम नहीं पुकारा।" कहते हुए विक्की ने अपनी हथेलियाँ प्राचार्य महोदय के सामने फैला दी।

सारी कक्षा साँस रोक कर उसे देख रही थी।

प्राचार्य कई क्षणों तक उसे देखते रहे। उनका कठोर चेहरा नर्म हो गया और उन के स्वर में क्रोध गायब हो गया।
"तुम सजा के हकदार नहीं हो, क्योंकि तुम में सच्चाई कहने की हिम्मत है। मैं तुम से कारण नहीं पूछूँगा, लेकिन तुम्हें वचन देना होगा कि अगली बार राष्ट्रीय समारोह को नहीं भूलोगे। अब तुम अपनी सीट पर जाओ।

विक्की ने जो कुछ किया, इसकी उसे बहुत खुशी थी।
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अनोखी चोरी Kids Hindi Story

चोरी की अनोखी तरकीब


बहुत पुरानी बात है। एक अमीर व्यापारी के यहाँ चोरी हो गयी। बहुत तलाश करने के बावजूद सामान न मिला और न ही चोर का पता चला। तब अमीर व्यापारी शहर के काजी के पास पहुँचा और चोरी के बारे में बताया।
सबकुछ सुनने के बाद काजी ने व्यापारी के सारे नौकरों और मित्रों को बुलाया। जब सब सामने पहुँच गए तो काजी ने सब को एक-एक छड़ी दी। सभी छड़ियाँ बराबर थीं। न कोई छोटी न बड़ी।

सब को छड़ी देने के बाद काजी बोला, "इन छड़ियों को आप सब अपने अपने घर ले जाएँ और कल सुबह वापस ले आएँ। इन सभी छड़ियों की खासियत यह है कि यह चोर के पास जा कर ये एक उँगली के बराबर अपने आप बढ़ जाती हैं। जो चोर नहीं होता, उस की छड़ी ऐसी की ऐसी रहती है। न बढ़ती है, न घटती है। इस तरह मैं चोर और बेगुनाह की पहचान कर लेता हूँ।"

काजी की बात सुन कर सभी अपनी अपनी छड़ी ले कर अपने अपने घर चल दिए।

उन्हीं में व्यापारी के यहाँ चोरी करने वाला चोर भी था। जब वह अपने घर पहुँचा तो उस ने सोचा, "अगर कल सुबह काजी के सामने मेरी छड़ी एक उँगली बड़ी निकली तो वह मुझे तुरंत पकड़ लेंगे। फिर न जाने वह सब के सामने कैसी सजा दें। इसलिए क्यों न इस विचित्र छड़ी को एक उँगली काट दिया जााए। ताकि काजी को कुछ भी पता नहीं चले।'

चोर यह सोच बहुत खुश हुआ और फिर उस ने तुरंत छड़ी को एक उँगली के बराबर काट दिया। फिर उसे घिसघिस कर ऐसा कर दिया कि पता ही न चले कि वह काटी गई है।

अपनी इस चालाकी पर चोर बहुत खुश था और खुशीखुशी चादर तान कर सो गया। सुबह चोर अपनी छड़ी ले कर खुशी खुशी काजी के यहाँ पहुँचा। वहाँ पहले से काफी लोग जमा थे।
काजी १-१ कर छड़ी देखने लगे। जब चोर की छड़ी देखी तो वह १ उँगली छोटी पाई गई। उस ने तुरंत चोर को पकड़ लिया। और फिर उस से व्यापारी का सारा माल निकलवा लिया। चोर को जेल में डाल दिया गया।

सभी काजी की इस अनोखी तरकीब की प्रशंसा कर रहे थे।
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